Supreme Court Order: पिता की प्रोपर्टी में बेटियों के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Supreme Court Order: सुप्रीम कोर्ट ने पिता की संपत्ति में बेटियों के अधिकार को लेकर एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण आदेश सुनाया है। इस फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति बिना वसीयत के संयुक्त परिवार में अपनी संपत्ति छोड़कर मर जाता है, तो उसकी बेटी को उसके भाइयों के बेटों के मुकाबले प्राथमिकता मिलेगी। यह नियम 1956 से पहले हुए संपत्ति बंटवारों पर भी लागू होगा, जिससे महिलाओं के अधिकारों को नया संरक्षण मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के संपत्ति विवाद में दिया फैसला

यह फैसला तमिलनाडु के एक विवाद से जुड़ा है, जहां मद्रास हाई कोर्ट ने पिता की स्वअर्जित और संयुक्त परिवार की संपत्ति पर भतीजों को अधिकार दिया था। पिता की मृत्यु 1949 में बिना वसीयत के हुई थी। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और कृष्ण मुरारी की बेंच ने 51 पन्नों के विस्तृत फैसले में इस निर्णय को पलटते हुए बेटी के पक्ष में अधिकार तय किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस स्थिति में पिता की इकलौती बेटी को पूरी संपत्ति का हक मिलेगा।

बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबर अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार कानून बेटियों को पिता की संपत्ति में बेटों के बराबर अधिकार देता है। यह अधिकार पैतृक (ancestral) और स्व-अर्जित (self-acquired) दोनों प्रकार की संपत्तियों पर लागू होगा। साथ ही कोर्ट ने दोहराया कि यदि किसी व्यक्ति का कोई बेटा नहीं होता, तो उसकी संपत्ति उसके भाई के बेटों के बजाय उसकी बेटी को मिलेगी। यह फैसला महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को धार्मिक और सामाजिक परंपराओं की दीवारों से निकालकर कानूनी मजबूती प्रदान करता है।

1956 से पहले हुए संपत्ति बंटवारों पर भी लागू फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था अब 1956 से पहले हुए संपत्ति बंटवारों पर भी लागू करने का निर्देश दिया है। इससे देश भर में निचली अदालतों में लंबित संपत्ति विवादों पर असर पड़ेगा और कई मामलों में महिलाओं को उनके कानूनी हक दिलाने में मदद मिलेगी। यह फैसला संपत्ति से जुड़ी सामाजिक असमानताओं को दूर करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

Disclaimer

यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है। संपत्ति और उत्तराधिकार से जुड़े मामलों में विशेषज्ञ सलाह लेना आवश्यक है।

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