अब चाहे कितना भी हो पैसा, भारत के इन 5 राज्यों में नहीं खरीद सकते जमीन – जानिए पूरा वजह Land Purchase Rules

Land Purchase Rules: भारत का संविधान सभी नागरिकों को देशभर में घूमने, बसने और काम करने की आज़ादी देता है, लेकिन कुछ राज्यों ने स्थानीय संस्कृति, परंपराओं और जनसंख्या संतुलन की सुरक्षा के लिए ज़मीन खरीदने पर विशेष प्रतिबंध लगाए हैं। इन राज्यों में चाहे आपके पास कितनी भी धनराशि क्यों न हो, ज़मीन लेना आसान नहीं है। आइए जानते हैं किन राज्यों में बाहरी लोगों के लिए ज़मीन खरीदना लगभग असंभव है और क्यों बनाए गए हैं ये नियम।

हिमाचल प्रदेश – कृषि भूमि पर प्रतिबंध

हिमाचल प्रदेश की सुंदरता लाखों लोगों को आकर्षित करती है, लेकिन यहां ज़मीन खरीदने के लिए सख्त शर्तें हैं। राज्य में लागू धारा 118 के तहत कोई भी बाहरी व्यक्ति कृषि भूमि नहीं खरीद सकता। केवल गैर-कृषि प्रयोजन के लिए, वह भी सरकार की अनुमति से ज़मीन खरीदी जा सकती है। यह कानून राज्य की खेती योग्य भूमि को संरक्षित करने और स्थानीय लोगों की आजीविका की रक्षा के उद्देश्य से लागू किया गया है।

नागालैंड – संविधान द्वारा विशेष सुरक्षा

नागालैंड में ज़मीन खरीदने पर पूर्ण प्रतिबंध है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371A के तहत सुनिश्चित किया गया है। यहां की ज़मीनें जनजातीय समुदायों की सामूहिक संपत्ति मानी जाती हैं, जिन्हें बाहरी लोगों को बेचना या किराए पर देना तक बेहद सीमित है। यह व्यवस्था वहां की पारंपरिक जीवनशैली और जनजातीय अधिकारों को बनाए रखने के लिए लागू की गई है।

सिक्किम – केवल स्थानीय नागरिकों को अधिकार

सिक्किम में भी ज़मीन खरीदने के लिए विशेष शर्तें हैं, जो अनुच्छेद 371F के तहत लागू हैं। यहां ज़मीन का मालिकाना हक सिर्फ राज्य के मूल निवासी को ही मिल सकता है। इस प्रतिबंध का उद्देश्य राज्य की सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक संरचना की रक्षा करना है, जिससे बाहर से आए निवेश से स्थानीय आबादी पर दबाव न पड़े।

अरुणाचल प्रदेश – राज्य सरकार से अनुमति आवश्यक

अरुणाचल प्रदेश में बाहरी लोग बिना सरकारी मंजूरी के ज़मीन नहीं खरीद सकते। विशेष रूप से कृषि भूमि का ट्रांसफर राज्य सरकार की अनुमति के बिना अवैध माना जाता है। यह नियम राज्य की जनजातीय संरचना और पारंपरिक जीवनशैली को सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए हैं। यहां ज़मीन को एक पीढ़ीगत विरासत माना जाता है, जिसे निजी संपत्ति के रूप में बेचना आम बात नहीं है।

मिजोरम, मेघालय और मणिपुर – आंतरिक भी प्रतिबंध

इन तीनों पूर्वोत्तर राज्यों में ज़मीन खरीदने को लेकर स्थानीय लोगों के लिए भी नियम सख्त हैं। यहां केवल राज्य के स्थायी निवासी ही ज़मीन खरीद सकते हैं। यहां तक कि एक राज्य का व्यक्ति दूसरे राज्य में भी ज़मीन नहीं खरीद सकता। इसका उद्देश्य स्थानीय संस्कृति और जनजातीय अधिकारों को बाहरी प्रभाव से बचाना है, ताकि संसाधनों और पहचान पर खतरा न आए।

ऐसे प्रतिबंध क्यों जरूरी माने जाते हैं?

इन राज्यों की आबादी सीमित है और संसाधन भी काफी सीमित हैं। अगर बाहरी लोग बड़ी मात्रा में ज़मीन खरीद लें, तो वहां के स्थानीय लोगों की आजीविका, सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक संरचना पर गहरा असर पड़ सकता है। इसलिए इन नियमों को संविधान के तहत विशेष प्रावधानों द्वारा संरक्षित किया गया है, ताकि राज्य अपनी पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रख सकें।

क्या करें अगर इन राज्यों में रहना हो?

यदि आप इन राज्यों में रहना, निवेश करना या कोई व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो पहले राज्य के स्थानीय नियमों को अच्छी तरह से समझें। कई बार सरकार विशेष मामलों में मंजूरी देती है, खासकर जब कोई व्यक्ति नौकरी या उद्योग से जुड़ा होता है। लेकिन ज़मीन का मालिकाना हक प्राप्त करना आसान नहीं है। इसलिए कानूनी प्रक्रिया और स्थानीय भावनाओं का सम्मान आवश्यक है।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी विभिन्न सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। ज़मीन खरीदने या निवेश से जुड़ा कोई भी निर्णय लेने से पहले संबंधित राज्य की आधिकारिक वेबसाइट या कानूनी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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