Gratuity Rule 2025: ग्रेच्युटी वह प्रोत्साहन राशि है जो किसी कर्मचारी को पांच साल या उससे अधिक सेवा पूरी करने पर मिलती है। यह न केवल कर्मचारी की सेवा के प्रति सम्मान का प्रतीक है, बल्कि उनके भविष्य की आर्थिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण आधार भी है। हालांकि, नियमों की अनदेखी करने पर कर्मचारी इस लाभ से वंचित हो सकते हैं। इसलिए, कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी के नियमों की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है।
पात्रता की मुख्य शर्तें
ग्रेच्युटी पाने के लिए कम से कम पांच वर्षों तक निरंतर एक ही संस्थान में सेवा देना अनिवार्य है। हालांकि, यदि कोई कर्मचारी चार साल आठ महीने की सेवा करता है, तो अदालतों के निर्णयों के आधार पर उसे भी पात्र माना जाता है। लेकिन यदि सेवा अवधि इससे कम है, तो कर्मचारी को ग्रेच्युटी नहीं मिलती। इसलिए सेवा की अवधि पूरी करना इस लाभ को पाने की प्राथमिक शर्त है।
किस कंपनी पर लागू होते हैं नियम
ग्रेच्युटी एक्ट केवल उन्हीं कंपनियों पर लागू होता है जहां दस या अधिक कर्मचारी कार्यरत हों। साथ ही, कंपनी को इस अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत होना आवश्यक है। यदि कंपनी ग्रेच्युटी एक्ट के दायरे में नहीं आती है, तो यह लाभ कर्मचारियों को देना या न देना कंपनी की नीति पर निर्भर करता है। इसलिए कर्मचारियों को यह जांच लेना चाहिए कि उनकी कंपनी इस अधिनियम के अंतर्गत आती है या नहीं।
किन स्थितियों में रुक सकती है ग्रेच्युटी
यदि किसी कर्मचारी का व्यवहार अनैतिक हो या उसकी लापरवाही से कंपनी को आर्थिक नुकसान हो, तो कंपनी उसकी ग्रेच्युटी राशि रोक सकती है। हालांकि, यह रोक सिर्फ उतनी राशि तक सीमित हो सकती है जितना नुकसान हुआ हो। बिना प्रमाण या उचित प्रक्रिया के ग्रेच्युटी को पूरी तरह रोकना गैरकानूनी है। कर्मचारी को चेतावनी देना और उसके खिलाफ उचित कार्रवाई करना अनिवार्य है।
कंपनी की जिम्मेदारी और प्रक्रिया
ग्रेच्युटी रोकने से पहले कंपनी को कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस देना होता है और उसके खिलाफ आरोपों को प्रमाणित करना जरूरी होता है। इसके बाद उचित सुनवाई की प्रक्रिया होती है। यदि कर्मचारी दोषी पाया जाता है, तभी ग्रेच्युटी राशि को आंशिक या पूर्ण रूप से रोका जा सकता है। यह प्रक्रिया न्यायसंगत और कानूनी रूप से मान्य होनी चाहिए।
बिना कारण ग्रेच्युटी रोकने पर कार्रवाई
यदि कोई कंपनी बिना उचित कारण के ग्रेच्युटी रोकती है, तो कर्मचारी कानूनी उपाय अपना सकता है। वह कंपनी को लीगल नोटिस भेज सकता है और जिला श्रम आयुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज कर सकता है। कानून के तहत, यदि कंपनी दोषी पाई जाती है, तो उसे मूल राशि के साथ-साथ ब्याज और जुर्माना भी देना पड़ सकता है। ऐसे मामलों में कंपनी की छवि और आर्थिक स्थिति दोनों प्रभावित हो सकती हैं।
कैसे होती है ग्रेच्युटी की गणना
ग्रेच्युटी की गणना के लिए एक निर्धारित फॉर्मूला होता है:
(अंतिम मासिक वेतन × सेवा के वर्षों की संख्या × 15)/26
यहां अंतिम वेतन में बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता शामिल होते हैं। इस गणना से कर्मचारी को मिलने वाली कुल ग्रेच्युटी राशि तय होती है। कर्मचारी चाहें तो किसी ऑनलाइन कैलकुलेटर की मदद से अपनी अनुमानित ग्रेच्युटी राशि पता कर सकते हैं।
कर नियम और छूट की जानकारी
सरकारी कर्मचारियों को प्राप्त होने वाली ग्रेच्युटी पूरी तरह टैक्स फ्री होती है। जबकि निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को ₹20 लाख तक की ग्रेच्युटी राशि पर टैक्स छूट मिलती है। इससे अधिक राशि पर आयकर लागू होता है। यह नियम आयकर अधिनियम की धारा 10(10) के अंतर्गत आता है। कर्मचारियों को इस सीमा और कर नियमों की स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए।
अपनी ग्रेच्युटी को सुरक्षित रखने के उपाय
कर्मचारी को हमेशा अपनी सेवा रिकॉर्ड, वेतन स्लिप, नियुक्ति पत्र और एग्जिट डॉक्युमेंट सुरक्षित रखने चाहिए। कंपनी के ग्रेच्युटी पॉलिसी को समझना और समय-समय पर एचआर से इस बारे में जानकारी लेना भी जरूरी है। सेवा के दौरान किसी प्रकार की लापरवाही या अनुशासनहीनता से बचना चाहिए, ताकि ग्रेच्युटी पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
निष्कर्ष
ग्रेच्युटी कर्मचारी का अधिकार है, जिसे न तो अनदेखा किया जाना चाहिए और न ही किसी नियम की अनभिज्ञता के कारण गंवाना चाहिए। कर्मचारियों को अपने अधिकारों और ग्रेच्युटी से जुड़े सभी नियमों की जानकारी रखनी चाहिए। साथ ही, कंपनियों को भी कानून का पालन करते हुए कर्मचारियों को उनका यह हक देना चाहिए, ताकि दोनों पक्षों के बीच विश्वास और सम्मान बना रहे।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न सार्वजनिक स्रोतों और नियमों पर आधारित है। किसी भी वित्तीय या कानूनी निर्णय से पूर्व विशेषज्ञ सलाह अवश्य लें।